Sunday, May 31, 2020

बर्फ की चादर में लिपटी सोलंग

मस्त हवा के झोंके, पंछियों का कलरव और दूर कहीं झरने का कोलाहल समूचे परिवेश को जादुई बना देता है। गर्मियों में भी यहां सैलानियों की खूब भीड रहती है और लाहौल घाटी जाने वाले सैलानी यहां जरूर पड़ाव डालते हैं

हिमाचल प्रदेश की मनाली घाटी में स्थित सोलंग नाला एक ऐसा स्थल है जो सैलानियों, साहसिक पर्यटन के शौकीनों, रोमांचक क्रीड़ा प्रेमियों और फिल्मी हस्तियों को बार-बार यहां आने का न्योता देता दिखता है। हर मौसम में सोलंग का मिजाज देखते ही बनता है। गर्मियों में जहां सोलंग में बिछी हरियाली सहसा ही मन मोह लेती है, वहीं सर्दियों में यहां पहुंचकर ऐसा लगता है जैसे बर्फ के साम्राय में आ गए हों। सोलंग नाले के इर्द-गिर्द बसी है सोलंग घाटी। यह नाला ब्यास नदी का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। नाले के शीर्ष पर ब्यास कुंड स्थित है। कुल्लू-मनाली घाटियों के ढलानें और उफनती नदियां वैसे भी रोमांच प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं हैं। लेकिन सोलंग घाटी ने सर्वाधिक ख्याति अर्जित करके देश-विदेश के पर्यटन मानचित्र पर अपना नाम अंकित करवाया है। गर्मियों में जहां सोलंग में आकाश में उड़ने के साहसिक खेलों का आयोजन होता है, वहीं सर्दियों में यहां की बर्फानी ढलानों पर फिसलता रोमांच देखते ही बनता है।

साहसिक खेलों का आयोजन
हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे स्थल हैं जहां विभिन्न साहसिक खेलों का आयोजन किया जाता है, लेकिन सोलंग एकमात्र ऐसा स्थल है जहां आकाश में उड़ने के रोमांचक खेलों से लेकर हिमानी क्रीड़ाओं तक का आयोजन होता है। यहां कई बार राष्ट्रीय शीतकालीन खेल आयोजित हो चुके हैं। यहां की ढलानें स्कीइंग के लिए दुनिया की बेहतरीन प्राकृतिक ढलानों में शुमार की जाती हैं। मनाली स्थित पर्वतारोहण संस्थान तो 1961 से यहां स्कीइंग का प्रशिक्षण दे रहा है और यहां के कई युवक-युवतियों ने इस संस्थान से स्कीइंग का प्रशिक्षण हासिल करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।

प्रकृति की मनोरम छटा
हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत मनाली नगर से सोलंग की दूरी महज 13 किलोमीटर है। समुद्र तल से 2480 मीटर की उंचाई पर स्थित सोलंग में प्रकृति की अनुपम छटा देखते ही बनती है। रई, तोच्च और खनोर के फरफराते पेड़ वातावरण में संगीत घोलते प्रतीत होते हैं। पृष्ठभूमि में चांदी से चमकते खूबसूरत पहाड़ हैं, जिनका सौंदर्य शाम की लालिमा में और भी निखर जाता है। मनाली से सोलंग टैक्सी, कार या दुपहिया वाहन द्वारा भी पहुंचा जा सकता है और सोलंग के सौंदर्य को आत्मसात करके शाम को आप बडे अाराम से मनाली पहुंच सकते हैं। रुकना चाहें तो यहां कुछ रिजॉर्ट भी हैं। सर्दियों में जब यहां की पर्वत श्रृंखलाएं बर्फ की सफेद चादर में लिपट जाती हैं तो यहां का नजारा ही बदल जाता है। जिधर निगाह दौड़ाएं, बर्फ ही बर्फ। जमीन पर जमी बर्फ, दरख्तों पर लदी बर्फ, नदी-नालों पर तैरती बर्फ और पहाड़ों के सीने से लिपटी बर्फ- बड़ा अदभुत और मोहक दृश्य होता है। सोलंग घाटी जब बर्फ से श्रृंगार करती है तो इसका नैसर्गिक रूप देखते ही बनता है और इसी रूप के मोहपाश में बंध कर सैलानी यहां से जाने का नाम नहीं लेते। गर्मियों में तो सोलंग का रूप ही बदला होता है, सर्दियों से एकदम अलग। सोलंग में बिछी हरियाली सहसा ही मन मोह लेती है। दूर-दूर तक हरियावल जंगल, पेड़-पौधे और वनस्पति धरती पर हरा गलीचा बिछा होने का भ्रम पैदा करती है।

फूलों की बिछी चादरघाटी में जब रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं तो एक मादक सुगंध चहुं ओर बिखर जाती है। प्रकृति कितने रूप बदलती है, यह सोलंग आकर पता चलता है। मस्त हवा के झोंके, पंछियों का कलरव और दूर कहीं झरने का कोलाहल समूचे परिवेश को जादुई बना देता है। गर्मियों में भी यहां सैलानियों की खूब भीड रहती है और लाहौल घाटी जाने वाले सैलानी यहां जरूर पड़ाव डालते हैं। सिर्फ सैलानी ही नहीं, फिल्मी दुनिया के लोग भी सोलंग के सम्मोहन में बंधे हैं और शूटिंग के लिए उन्होंने सोलंग को कश्मीर का पर्याय माना है। कई चर्चित फिल्मों की शूटिंग सोलंग की खूबसूरत वादियों में हो चुकी है। स्थानीय निवासियों के लिए सोलंग फिल्म नगरी' बनता जा रहा है।

No comments:

Post a Comment

सोच ही सफलता का मार्ग है

आज के सांसारिक युग में कदम-कदम पर नई-नई जानकारियां खड़ी हैं। जानकारियां अच्छी-बुरी, व्यवहारिक इत्यादि हो सकती हैं। गुरु ही हमें विश्व की ...